हर साल की तरह 2024 में 25 फ़रवरी को शबे बरात मनाया जाएगा। शबे बरात/शब-ए-बारात का मतलब हिंदी में बरी वाली रात होता है। इस दिन कब्रिस्तान जाकर अल्लाह पाक से कब्र के लोगों के लिए मग़फ़िरत की दुआ की जाती है। साथ ही पूरी रात अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की इबादत की जाती है और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगी जाती है। इबादत के लिए क़ुरआन पढ़ना, नमाज़ पढ़ना इत्यादि किया जाता है। ऐसे में आपको शबे बरात की नफ़िल नमाज़ पढ़ने का तरीका बताने जा रहे हैं।
इस दिन कब्रिस्तान जाकर अल्लाह तआला से कब्र में सोए हुए लोगों के लिए मग़फ़िरत की दुआ की जाती है। साथ ही पूरी रात अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की इबादत की जाती है और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगी जाती है।
इबादत के लिए 100 रकात नमाज, क़ुरआन पाक का पाठ, दरूद शरीफ़ और विशेष दुआएं पढ़ी जाती हैं। इस रात को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। ऐसे में आपको शबे बरात की नफ़िल नमाज़ पढ़ने का तरीका बताने जा रहे हैं।
Shab e Barat Namaz Ka Tarika (शबे बरात (शब-ए-बारात) की नमाज पढ़ने का तरीका)
शबे बरात की नफ़िल नमाज़ पढ़ने से पहले कुछ नियम हैं जिन्हें पालन करना जरुरी है:
- पाक-साफ़ होना – नमाज़ से पहले वुज़ू अवश्य करें।
- गुस्ल करना – शरीर को पूरी तरह धो लें।
- नमाज़ की नियत करना – दिल से नमाज़ अदा करने का इरादा रखें।
चलिए आज हम शबे बरात नमाज़ की नियत और नमाज़ के तरीके पर चर्चा करते हैं:
नियत – अल्लाह तआला के आदेश का पालन करने और उनकी बारगाह में हाज़िर होने का इरादा रखकर नमाज की नियत की जाती है।
SHAB E BARAT: नमाज की नियत हिंदी में पढ़े
शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ की नियत व नमाज़ अदा करने का विस्तृत तरीका इस प्रकार है:
नियत:
- वुज़ू करके पाक-साफ़ हो जाएँ।
- क़िबला की ओर मुँह करके खड़े हों।
- नियत करें कि मैं 2 रकात सुन्नत + 100 रकात नफ़िल + 2 रकात सुन्नत नमाज़ शब-ए-बारात के मौक़े पर अल्लाह तआला के फ़रमान के अनुसार अदा करूँगा/करूँगी।
नमाज़ का तरीका:
- अज़ान दें।
- दो रकात सुन्नत नमाज़ अदा करें।
- दरूद शरीफ़ पढ़ें और दुआ करें।
- 100 रकात नफ़िल नमाज़ शुरू करें।
- हर 2 रकात के बाद दरूद शरीफ़ पढ़ें।
- 100वीं रकात पूरी होने पर दोबारा 2 रकात सुन्नत नमाज़ अदा करें।
- सूरह इख़लास पढ़कर दुआ करें और नमाज़ समाप्त करें।
इस प्रकार से शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ को नियत के साथ पूरी तरह अदा किया जाता है।
शबे बरात की नफिल नमाज पढ़ने का तरीका
शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ को भी बाकी नमाज़ों की तरह ही पढ़ा जाता है:
- सबसे पहले क़िबला रुख़ करके खड़े हो जाएँ।
- फिर मग़रिब की नमाज़ अदा करें।
- मग़रिब के बाद तुरंत शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ शुरू करें।
- 2 रकात नमाज़ पूरी होने पर 21 मर्तबा सूरह इख़लास या 1 मर्तबा सूरह यासीन पढ़ें।
- फिर अल्लाह से 2 रकात की बरकत मांगते हुए दुआ करें।
- इसी तरह से 2x2x2 = 6 रकात नफ़िल नमाज़ पूरी करें।
शबे बरात की नमाज पढ़ने के फायदे
शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ पढ़ने के विस्तृत फ़ायदे निम्नलिखित हैं:
- अल्लाह की बारगाह में प्रस्तुति:
- शब-ए-बारात की रात में अल्लाह तआला अपनी बारगाह से धरती की तरफ निहारते हैं।
- इस रात नमाज़ पढ़ने वाले अल्लाह की बारगाह में प्रस्तुत होते हैं।
- गुनाहों की माफ़ी:
- इस रात 100 रकात नमाज़ पढ़ने से अतीत के सारे गुनाह माफ हो जाते हैं।
- हर 2 रकात के बीच दरूद शरीफ़ पढ़ने से भी गुनाह मिटते हैं।
- दुआ की क़बूलियत:
- इस रात की दुआएं अल्लाह तआला सुनते और क़बूल करते हैं।
- 100 रकात नमाज़ पूरी होने के बाद हृदय से की गई दुआ पूरी होती है।
- जन्नत का दरवाज़ा:
- इसे जन्नत का दरवाज़ा खोलने की रात भी कहा जाता है।
- नमाज़ पढ़कर इस दरवाज़े को खोलने का मौक़ा हासिल किया जा सकता है।
- सवाब:
- 100 रकात नमाज़ पढ़ने से प्रत्येक रकात पर एक जन्नत का दरवाजा खुलता है।
- इससे बहुत बड़ा सवाब मिलता है।
अतः शब-ए-बारात की नफ़िल नमाज़ अनेक फ़ायदों से भरपूर है।
Shab e Barat Dua | शबे बरात की दुआ
“अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा सललेता अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अला सय्येदिना मुहम्मदिव व अला आलि सय्येदिना मुहम्मदिन कमा बारकता अला सय्येदिना इब्राहिम व अला आलि सय्यदीना इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद”
इस दुआ का अर्थ इस प्रकार है:
“अल्लाहुम्मा सल्ले अला सय्यिदना मुहम्मदिव व आलेहि व सल्लम” – ओ अल्लाह! मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर रहमत और दरूद भेजें।
“व अला आले सय्यिदना मुहम्मदिन कमा सल्लेता अला इब्राहीम” – और इब्राहीम अलैहिस्सलाम तथा उनकी औलाद पर भी रहमत और दरूद भेजें।
“इन्नक हमीदुन मजीद” – आप बहुत सराहने योग्य और महान हैं।
“अल्लाहुम्मा बारिक अला सय्यिदना मुहम्मदिव व आलेहि वसल्लम” – हे अल्लाह! मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर अपना आशीर्वाद उतारें।
इस प्रकार इस दुआ में मोहम्मद साहब, इब्राहीम अलैहिस्सलाम और उनकी औलाद पर दरूदो-सलाम भेजने और आशीर्वाद देने की बात कही गई है।
Shab e Barat Namaz Relaed FAQs
शब-ए-बारात की नमाज़ कितनी रकात होती है?
शब-ए-बारात की नमाज़ 2 रकात सुन्नत + 100 रकात नफ़िल + 2 रकात सुन्नत के रूप में कुल 104 रकात होती है।
शब-ए-बारात की नमाज़ कब पढ़ी जाती है?
शब-ए-बारात की नमाज़ रात के वक्त मग़रिब और इशा के बीच पढ़ी जाती है।
शब-ए-बारात की नमाज़ में दरूद शरीफ़ कब पढ़ा जाता है?
नफ़िल की हर 2 रकात के बाद दरूद शरीफ़ पढ़ा जाता है।
शब-ए-बारात की नमाज़ के बाद क्या पढ़ा जाता है?
नमाज़ के बाद सूरह इख़लास और दुआ पढ़ी जाती है।