Budhiya Mata Mandir Kahani – गोरखपुर के बुढ़िया माई मंदिर की कहाँनी | Budhiya Mata Mandir Gorakhpur

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बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर शहर से लगभग 10 किलोमिटर पुर्ब मे गोरखपुर -कसया मार्ग पर कुसम्ही जंगल मे स्थित है । मंदिर पर जाने के लिये आपको करिब एक किलोमिटर पैद्ल चलना होगा क्युकि यह मंदिर अंदर जंगल मे स्थित है जो कि मेंन रोड से करिब एक किलोमिटर है ।

लोगो का मानना है कि सच्चे मन से जो कुछ भी आप माता से मांगते है आपकी वह इच्छा जरुर पुरी होती है । यहा नेपाल , बिहार और झारखन्ड से भी लोग माता के दर्शन के लिए आते है , नवरात्री मे यहा भक्तो का ताता लगता है। यहा बहुत सारे लोग अपने बच्चो का मुंडन , जनेव और वाहनो का पुजन कराने भी आते है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रि योगी आदित्यनाथ महाराज जी को जब भी समय मिलता है वह माता के दर्शन के लिये आते है ।

यहा कई लोगो से यह भी सुनने को मिला है की रात के समय पहले कुसम्ही जंगल मे डाकुवो का डेरा था और वो रात को आने जाने वाले लोगो को लुटते थे , एक माता के भक्त के पिछे डाकु पडे थे तब उस भक्त ने माता का ध्यान किया और वही सारे डाकुओ का नाश हो गया तब से वहा के आस-पास के लोग माता की पुजा करने लग गये धिरे-धिरे आज माता का मंदिर बहुत दुर तक प्रसिदः है ।

Budhiya Mata Mandir Kahani पुरी कहानी

Budhiya Mata Mandir Gorakhpur

Budhiya Mata Mandir Kahani

जैसा की हमने बताया माता का मंदिर जंगल मे स्थित है , माता के दो मंदिर है दोनो मंदिर के बिच एक प्राचिन नाला है । जब इस नाले मे पानी रहता है तो लोग नाव के सहारे इस मंदिर से उस मंदिर के तरफ जाते है । माता के दर्शन के लिए लोग बहुत दुर-दुर से आते है । अगर आप हमारी ये आर्टीकल देख रहे है और अभी तक आप गोरखपुर के बुढ़िया माई मंदिर नही आये है तो एक बार यहा जरुर आये ।

माता मंदिर मे चैत्र और शारदिय नवरात्र मे और आम दिनो मे भी माता के मंदिरो मे श्रधालुओ की लाइन लगी रहती है । लोग आते है माता का दर्शन करते है और आशिर्वाद लेते है । सच्चे भक्तो की मांगी हुई मनोकामनाए पुरी होती है ।

बुढ़िया माई मंदिर की पहली कहाँनी

Gorakhpur Mandirs

हमे माता मंदिर की कहाँनी यही के लोगो से पता चली, कहा जाता है कि यहा बहुत घना जंगल था यह जंगल तो आज भी है और जंगल के बिच एक नाला बहता था जो काफी बडा था और उस नाले पर लकडी का पुल बना हुआ था ।

एक बार एक बारात उस रास्ते से होकर जा रही थी , तभी उस पुल पर एक बुढ़िया माई सफेद साडी मे दिखी ,बारात मे सामिल नाच दिखाने वाले जोकरो से बुढ़िया माई ने नाच दिखाने को कहा तो सारे जोकर बुढ़िया का मजाक उडाने लगे और कहने लगे की बुढ़िया नाच देखेगी लेकिन उसमे से एक जोकर ने बासुरी बजाकार पाच बार नाच दिखाया , जिस पर बुढ़िया माई ने उसे इसारा किया की लौटते समय तुम बारात के साथ पुल पर मत आना ।

जब तिन दिन बाद बारात लौटी तो वही बुढ़िया माई पुल की दुसरी तरफ मिली और वह जोकर जिसने नाच दिखाया था वह पुल के उसी तरफ रुक गया , जैसे ही बारात पुल के बिच आयी पुल टुट गया और सभी पानी मे गिर गये और सबकी मौत हो गयी बस वह जोकर ही बचा था । इस घटना के बाद बुढ़िया माई उस जोकर को भी नही दिखी और वह अकेला बचा हुवा जोकर इस पुरे घटना का खुलासा किया जिसके बाद नाले के दोनो तरफ माता का मंदिर बना पुजा किया जाने लगा ।

Temples in Gorakhpur

बुढ़िया माई मंदिर की दुसरी कहाँनी | Budhiya Mata Mandir Kahani

Budhiya Mata Mandir Kahani

दुसरी कहाँनी मे माता ने एक मरे हुवे व्यक्ति को जिंदा किया था । इस कहाँनी मे इमिलिया उर्फ बिजहरा गाव निवासी जोखु सोखा की मौत के बाद परिजनो ने उनका शव तुर्रा नाले मे बहा दिया था , उनका शव बहते-बहते जंगल के बिच बने पिंडियो के पास जाकर रुका और वहा बुढ़िया माई प्रकट होकर उनको जिंदा कर दी तब से जोखु सोखा माता की पुजा-अर्चना करने मे लग गये । जोखु सोखा ने जिस रुप मे माता को देखा था उसी रुप मे माता की मुर्ती बनवाया और मंदिर बनवाया । अब जोखु सोखा नही रहे ।

मंदिर की पुरी देख-रेख उनके तिन बेटे राजेंद्र सोखा , रामानंद सोखा और राम आसरे करते है ।

बुढ़िया माई मंदिर की कहाँनी पसंद आयी हो तो आप यहा जरुर आये और हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करे जिससे माता की कहानी और लोगो तक पहुच सके ।

धन्यबाद

Budhiya Mata Mandir Gorakhpur

बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर में कहा है?

बुढ़िया माई मंदिर गोरखपुर शहर से लगभग 10 किलोमिटर पुर्ब मे गोरखपुर -कसया मार्ग पर कुसम्ही जंगल मे स्थित है।

Budhiya माता मंदिर कहाँनी क्या है?

बुढ़िया माई मंदिर की कहाँनी इस लेख में दिया गया है।

गोरखपुर से बुढ़िया माता मंदिर कितनी दुर है?

अगर आप गोरखपुर शहर से बुढ़िया माता मंदिर 10 किलोमीटर दुर है।

गोरखपुर बुढ़िया माता मंदिर कैसे पहुँचा जा सकता है?

गोरखपुर रेलवे स्टेशन और गोरखपुर बस स्टैंड से ऑटो रिक्शा या टैक्सी द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है।

क्या गोरखपुर बुढ़िया माता मंदिर में कोई प्रवेश शुल्क है?

नहीं, मंदिर में कोई भी प्रवेश शुल्क नही लगता है, यहा प्रवेश सबके लिए निशुल्क है।

बुढ़िया माता मंदिर के दर्शन का समय क्या है?

मंदिर सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक खुला रहता है।

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Tarkulha Mata Mandir Kahani Gorakhpur

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